प्रियंका चोपड़ा
यूनिसेफ गुडविल एम्बैस्डर (सद्भावना राजदूत) प्रियंका चोपड़ा, भारत की सबसे लोकप्रिय अभिनेत्रियों में से एक हैं, जिनके प्रशंसक विश्व भर में मौजूद हैं।
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यूनिसेफ गुडविल एम्बैस्डर (सद्भावना राजदूत) प्रियंका चोपड़ा भारत की सबसे लोकप्रिय अभिनेत्रियों में से एक हैं, जिनके प्रशंसक दुनिया भर में मौजूद हैं। वह अपने जानदार अभिनय के लिए जानी जाती हैं और विदेशों में भी नाम कमा चुकी हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वह दुनिया भर के युवाओं, विशेषतः लड़कियों के बीच, एक खास छवि रखती हैं। युवतियों के लिए प्रियंका शक्ति और क्षमता का प्रतीक हैं।
प्रियंका चोपड़ा को 2016 में ‘ग्लोबल यूनिसेफ गुडविल एम्बैस्डर’ के रूप में नियुक्त किया गया था। प्रियंका चोपड़ा लगभग 15 सालों से यूनिसेफ से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने 2006 से यूनिसेफ के साथ काम करना शुरू किया था। उन्होंने जन-सेवा घोषणाओं की रिकॉर्डिंग की है, और बच्चों के अधिकारों तथा लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मीडिया पैनल चर्चाओं में भी भाग लिया है। वह बाल अधिकारों के कन्वेंशन (सी.आर.सी.) की 20वीं वर्षगांठ के समारोहों में भी शामिल हुईं थी।
2010 में उन्हें एक यूनिसेफ नेशनल एम्बैस्डर (राष्ट्रीय राजदूत) नियुक्त किया गया था, और विशेष रूप से बच्चों और किशोरों के अधिकारों को बढ़ावा देने का काम सौंपा गया था। वह यूनिसेफ के साथ बाल अधिकारों पर बनाए जाने वाले वीडियो और विज्ञापनों में भी शामिल हुईं, जो बाल अधिकारों और बच्चों के फलने-फूलने के लिए स्वस्थ वातावरण बनाने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए बनाए गए थे।
प्रियंका चोपड़ा सामाजिक अभियानों में योगदान के लिए भी जानी जाती हैं, खासकर बच्चों से सम्बंधित अभियानों में। वह भारत में लड़कियों की स्थिति में सुधार लाने के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए कई गैर-सरकारी संगठनों से भी जुड़ी हुई हैं। वह संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक "गर्ल अप" अभियान का भी हिस्सा रही हैं, जो एक ऐसी दुनिया की कल्पना करता है जहां सभी लड़कियां, चाहे वे कहीं भी रहें, शिक्षित, स्वस्थ, और सुरक्षित हों, और अगली पीढ़ी का नेतृत्व कर सकें।
यूनिसेफ गुडविल एम्बैस्डर के रूप में प्रियंका चोपड़ा जोनस ने कई देशों की यात्रा की है, जिनमें जॉर्डन, इथियोपिया और बांग्लादेश शामिल हैं। इन देशों में वह उन शरणार्थी बच्चों से मिलीं, जो संघर्ष और मानवीय संकटों के कारण अपने देश से विस्थापित हो गए हैं।
प्रियंका चोपड़ा भारत में जिन प्रमुख यूनिसेफ अभियानों से जुड़ी हुई हैं, उनका लक्ष्य किशोरियों और युवतियों को जीवन कौशल, उद्यम और नेटवर्किंग के कौशल का प्रशिक्षण देकर उन्हें मज़बूत बनाना है।
प्रियंका चोपड़ा ने यूनिसेफ द्वारा चलाए गए अभियानों का प्रचार करने में भी मदद की है। इन अभियानों के द्वारा उन्होंने समर्थकों को सक्रिय रूप से देश भर में किशोरियों के अधिकारों की मांग करने के लिए प्रेरित किया है, विशेषकर उनके अधिकारों के लिए जो समाज के बहिष्कृत और अधिकारविहीन वर्गों से आती हैं। उन्होंने "बच्चों के खिलाफ हिंसा" अभियान को भी अपनी आवाज दी है, जिसका उद्देश्य बाल विवाह के साथ-साथ शारीरिक, भावनात्मक और यौन हिंसा के विभिन्न रूपों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
प्रियंका चोपड़ा कहती हैं: “बच्चे हमारे देश का भविष्य हैं, और इनके लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण सुनिश्चित करना और विकसित होने के सही अवसर प्रदान करना, इन बच्चों के साथ-साथ हमारे देश के लिए भी एक उज्जवल भविष्य की कुंजी है। मुझे यूनिसेफ और इसके विभिन्न कार्यक्रमों के साथ जुड़ने की खुशी है, जिनका उद्देश्य बच्चों और किशोरों का सशक्तिकरण है। मैं इन बच्चों को उनके जीवन में आगे बढ़ने के अधिक अवसर देने की आवश्यकता का भरपूर समर्थन करती हूँ। व्यक्तिगत तौर पर मेरी यह धारणा है कि किशोरियों को सशक्त बनाने के हमारे नियमित प्रयास हमारे देश की वृद्धि में योगदान करेंगे।”
प्रियंका चोपड़ा ने बच्चों के मुद्दों के बारे में जागरूकता पैदा करने में काफी मदद की है। उन्होंने माता-पिता, देखभाल करने वालों, नीति-निर्माताओं और समाज के अन्य प्रमुख सदस्यों का इन मुद्दों की ओर ध्यान आकर्षित करके उनका मुकाबला करने की दिशा में काम करने के लिए प्रोत्साहित किया है। यूनिसेफ कई वर्षों से चले आ रहे उनके इस समर्थन के लिए उनका बहुत आभारी है।